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हमसे ये छुपाया गया है! || आचार्य प्रशांत
ये सब जो ज़िंदगी में भरा हुआ है, ज़रूरी है क्या? (व्यर्थ को पहचानें और हटाएँ) ||आचार्य प्रशांत(2023)
अमीरों को देखता हूँ तो ख़ुद से नफ़रत होती है! || आचार्य प्रशांत (2024)
(गीता-40) कोई नहीं आएगा बचाने, उठो और संघर्ष करो! || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2024)
किसी पर आश्रित नहीं रहेंगे, आज़ाद जिएँगे || आचार्य प्रशांत, बौद्ध दर्शन पर (2023)
ये बात समझ गए, तो कभी नहीं डरोगे || आचार्य प्रशांत (2021)
प्रपोज़ करने गया था, डर के मारे गीता का श्लोक सुनाकर आ गया || आचार्य प्रशांत (2023)
तुम कमज़ोर हो, इसलिए लोग तुम्हें दबाते हैं || आचार्य प्रशांत (2021)
होश बहुत हुआ, तुम्हें थोड़ी बेहोशी चाहिए || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2024)
(गीता-46) आत्मज्ञान के प्रकाश में, अंधे कर्म सब त्याग दो... || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2023)
हमें भी अय्याशी करनी है || आचार्य प्रशांत (2024)
उनकी ज़िद है हमें बचाना, हम चाहें बर्बाद हो जाना || आचार्य प्रशांत (2023)